CHANGING THE WORLD..?

Posted by SHUBHAM ARYA On December - 16 - 08

Is it all done and dusted then? Are we all now happily post-racial? No more worries about the colour of our skin, race or religion? Euphoria can’t get better than what followed Barack Obama’s election as America’s first African-American President. The eruption of joy, hope and optimism that it triggered befits a truly historic event. But what next?

THE REAL INDIAN........

Posted by SHUBHAM ARYA On November - 21 - 08

Major Sandeep UnniKrishan, which was announced at the National Security Guards at the headquarters Manes in Haryana, had arrived in Mumbai to take on the terrorists holes in the two star hotels in Mumbai. The whole operation in the three places where the commands in the gun battle deal with the terrorists will be over in a few hours, while the new building of the Taj hotel has been cleared of terrorists, said a senior army officer. Read more information at wiki.

THROW IN THE ARABIAN SEA......

Posted by SHUBHAM ARYA On January - 24 - 09

Father of the martyred commando Sandeep Unnikrishnan threw the chief minister out of his house one night.The mourning family was told that the chief minister was coming and the security guards had to search their house.A sniffer dog was brought in who defecated the house with urine.The security gaurds were adamant to search every clost of the house so that the chief ministers lif is saved.

KNOW THE WEB TECH.

Posted by SHUBHAM ARYA On January - 24 - 09

Knowledge of computer applications in today’s world is a pre-requisite for a successful and satisfying career. With new soft wares being introduced in the market almost every second day, it is all the more necessary for students from all fields, specialisations and backgrounds to keep abreast with the latest that is on offer in the field of technology.

EXPLORE YOURSELF IN AVIATION.

Posted by SHUBHAM ARYA On January - 22 - 09

The Indian aviation industry will grow at a rate of 25 per cent in the next two years. Given this projection, there would not be a better time to enter this field. Tapping this demand, several institutes have launched courses in aviation management. These diploma courses can range from six months to two years.


१९ नवम्बर , सन् १९७२ भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति , स्व. वाराहगिरी वेंकटगिरी , दक्षिण अमेरिका के एक देश ब्राजील के दौरे पर होते हैं | उस दिन उन्हें ब्राजील के एक शहर सैल्वाडोर ( SALVADOR ) में एक विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह ( AUDITORIUM ) का उदघाटन करना था |

वहां के समारोह में श्री गिरी का परिचय उदघोषक ने कुछ इस प्रकार करवाया था |
" आज हमारे मुख्य अतिथि श्री वा. वे. गिरी ( राष्ट्रपति भारत देश ) जी हैं | आप सभी की जानकारी के लिए बता दें कि तीसरी दुनिया का एक प्राचीन देश भारत है जहाँ आज भी लाखों लोग गले में साँप लटकाए हुए नंगे घूमते हैं |भारत नदियों , पहाडों का वह देश है जिसमें अंधविश्वासों का बोलबाला है साधू एवं फ़कीर इस देश को चलाते हैं |महात्मा गाँधी नाम का व्यक्ति इस देश में हुआ था जिसने ब्रिटिश लोंगों से आज़ादी दिलाई थी | इनके देश में आज भी ५० % की जनसँख्या भूखी सोती है | यह देश विश्व बैंक के सबसे बड़े कर्ज़दार देशों में से है | "
( उपर्युक्त परिचय श्री गिरी के कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले आगंतुकों को सभा प्रारम्भ होने के ३० मिनट पूर्व दिया गया था | )

शायद आज हममें से कुछ लोग चौंक पड़ें , लेकिन तत्कालीन भारत की वही पहचान थी | अगर आज हमें भारत बदला हुआ दिखाई दे रहा है तो इसका श्रेय जाता है तीव्र औद्योगीकरण को , जिसके नायक थे स्व. धीरजलाल हीराचंद अम्बानी | स्वतंत्र भारत को अगर तेजी से विकास की रफ़्तार पर ले जाने का श्रेय किसी को जाता है तो वह व्यक्ति सिवाय धीरुभाई के कोई हो ही नहीं सकता | यह व्यक्ति ना सिर्फ़ भारत की औद्योगिक क्रांति का नायक बना बल्कि हर क्रांति के पुरोधा की तरह अपना सम्पूर्ण दर्शन भी हमारे सम्मुख छोड़ गया |

भारत अगर आज वाकई एक महाशक्ति बनना चाहता है तो हमें करोड़पतियों की एक ऐसी फौज चाहिए जो कि विकास चक्र को पर्याप्त मात्र में ईंधन उपलब्ध कराती रहे | आज की सृष्टि में तो इसका कोई विकल्प नहीं है |
जरा धीरुभाई के दर्शन को देखें कैसे वो हमें प्रेरित कर रहा है ?

धीरुभाई ने इस सिद्धांत को सबसे ज्यादा सफल बनाया कि हर धन्धे का बाप पकडो कारोबार अपने आप बढेगा |मतलब कि श्रृंखला की प्रथम कड़ी से मुनाफा बनाकर तुंरत अगली कड़ी को व्यवसाय में जोड़ लो , रिलायंस का ही उदहारण लें तो सबसे पहले पोलिस्टर बेचना , फ़िर उसे बनाना , फ़िर उसके धागे का विनिर्माण , फ़िर धागे की जरुरत के केमिकल का निर्माण , फ़िर केमिकल के स्त्रोत पेट्रोलियम की रिफायनरी की क्रमबद्ध श्रृंखला ने रिलायंस को आज कहाँ पंहुचा दिया |

दूसरा सिद्धांत था कि देशहित में मौजूदा सड़े हुए व्यावसायिक विधान को मानने का कोई मतलब नहीं | अम्बानी के तीव्र विकास का ही प्रतिफल था कि १९९१ में भारत को नेहरूवादी अर्थव्यवस्था से मुक्ति मिली | ( संदेह हो तो नियमों मसलन ( MRTP ACT 1969 ) के बदलाव में रिलायंस की भूमिका देखें |

तीसरी बात थी कि कारोबार में जितना कमाओ सामने वाले को उससे ज्यादा दो | आज १ करोड़ शेयर धारकों में से जिसने भी ५ साल से ज्यादा शेयर को रखा है उसे इस बात की सत्यता से कोई परहेज़ न होगा |

अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात भारत के युवाओं को आत्मनिर्भरता का वो सपना देना जिससे विकास हमारी शर्तों पर हो न कि किसी और देश से नौकरी और गुलामी आयात करके | इसी सपने ने ' देश का श्रम देश के लिए ' की भावना बढाई और अन्य व्यापारिक दिशाओं पर तेजी से बढ़ते हुए उद्यमियों को प्रोत्साहित भी किया |

आज भारत को यदि आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरना है तो हमें आज ऐसे गुरुओं की आवश्यकता है जो की १००० धीरुभाई देश के लिए तैयार कर सकें |

" सत्यमेव जयते " ||



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